सृजनात्मकता के अवधारणा एवं सृजनात्मक बालक के विशेषता
प्रश्न | सृजनात्मकता के अवधारणा एवं सृजनात्मक बालक के विशेषता
Srijnatmkta ke avdharna aevm Srijnatmk Balk ke vishestavo |
कोर्स | डी.एल.एड. – बी.एड. – CTET – SUPER TET इत्यादी |
उत्तर —
प्रस्तावना ⇒
सर्जनात्मकता किसी व्यक्ति में विद्यमान उसकी मौलिकता की ओर संकेत करती है। विज्ञान, कला तथा संगीत आदि के क्षेत्रों में कार्य करने वाले महान् व्यक्तियों तक ही सर्जनात्मकता सीमित नहीं होती । वस्तुतः किसी भी कार्य में किसी भी व्यक्ति में सर्जनात्मकता के तत्त्व निहित हो सकते हैं । यदि हम किसी बढ़ई, राजगीर, संगीतज्ञ, चित्रकार अथवा किसी अन्य विशेषज्ञ के कार्य पर ध्यान दें तो उसमें हमें उसकी सर्जनात्मकता या मौलिकता के कुछ तत्त्वों का आभास हो सकता है । वस्तुतः हमारी सभ्यता के जो भी कुछ अवशेष मिलते हैं वे उनके निर्माताओं की मौलिकता अथवा सर्जनात्मकता के प्रतीक ही हैं । शिक्षा का यह कार्य होता है कि बालक में निहित सर्जनात्मकता को पहचान कर उसके ‘विकास हेतु समुचित व्यवस्था की जाय ।
सृजनात्मकता के अवधारणा
सर्जनात्मकता किसी प्रकार मौलिकता की ओर संकेत करती है । सर्जनात्मकता का तात्पर्य किसी व्यक्ति की ऐसी क्रान्ति से समझा जा सकता है जो समाज के लिए उपयोगी हो और दूसरे इस उपयोगिता को स्वीकार करें । सर्जनात्मकता की किसी कृति में बहुत ही सामान्य बातें एक अनूठे और नये परिपेक्ष्य में रखी जाती हैं । सर्जनात्मकता चिन्तन (Thinking) से निकलती है । जो बालक प्रदत्त परिस्थिति के आधार पर कुछ आगे की ओर चिन्तन करता है वह अपने कार्य अथवा कार्य शैली में अपनी सर्जनात्मकता दिखाता है । यदि कोई बालक किसी समस्या की व्याख्या पूर्णतः या अंशत: कर लेता है तो निश्चय ही उसमें कुछ सर्जनात्मकता है । जो बच्चे किसी विषम परिस्थिति या चुनौती का सामना प्रसन्नचित्त मन से करते हुए अपने विचारों को धारा प्रवाह गति से प्रकाशित करते हैं उनमें मौलिकता के तत्त्व होते हैं । ऐसे बच्चे किसी समस्या के विभिन्न पक्षों में संगत और असंगत पक्षों को समझ लेते हैं । ऐसे बच्चे तर्क करने में भी समर्थ होते हैं । सर्जनात्मकता की योग्यता वाले बच्चे अपने विचारों से दूसरों को सरलता से प्रभावित कर लेते हैं । ऐसे बच्चे वाक्पटुता भी दिखलाते हैं और किसी बौद्धिक चुटकी को तुरन्त पकड़ लेते हैं। किसी विकट परिस्थिति में स्वतन्त्र निर्णय लेने में उन्हें कोई हिचक नहीं होती । किसी आवश्यक स्रोत की जानकारी हेतु वे पर्याप्त जिज्ञासा प्रकट करते हैं । अपने वातावरण के प्रति वे काफी संवेदनशील होते हैं । वे स्वतन्त्रता पसन्द करते हैं । स्वीकृत सामाजिक मान्यताओं के अन्तर्गत अपनी उन्मुक्तता पर किसी हस्तक्षेप को वे बहुत नापसन्द करते हैं ।
सृजनात्मक बालकों की विशेषताएँ
Characteristics of Creative Children
सृजनात्मक बालक में निम्नलिखित विशेषताएँ पायी जाती हैं-
1. प्रखर बुद्धि-
सृजनात्मक योग्यता वाले बालकों की बुद्धि प्रखर होती है। वह किसी भी चीज को अन्य बालकों की अपेक्षा शीघ्र से सीख लेते हैं, जबकि अन्य बालक उसी चीज को अधिक समय में सीख पाते हैं । कक्षा-कक्ष में भी सृजनात्मक बालक अपनी पठन-सामग्री को अन्य बालकों की अपेक्षा शीघ्रता से अंगीकृत कर लेते हैं ।
2. विचारों की स्वतन्त्रता (Independent Thinking) —
सृजनात्मक योग्यता वाले बालकों में विचारों की स्वतन्त्रता पायी जाती है । वे अपने किसी भी कार्य को पूरा करने के लिये स्वयं ही निर्णय लेना पसन्द करते हैं। उन्हें अपने कार्यों में किसी का हस्तक्षेप पसन्द नहीं आता है |
3. कार्यों में स्वतन्त्रता (Independent Working) –
सृजनात्मक योग्यता वाले बालक किसी भी कार्य को स्वतन्त्रतापूर्वक पूरा करना चाहते हैं । वे नियन्त्रित परिस्थितियों में कार्य करना पसन्द नहीं करते हैं |
4. आत्म-प्रकाशन (Own-Publication) –
सृजनात्मक बालकों में आत्म-प्रकाशन की भावना पायी जाती है। वे अपने कार्यों द्वारा अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं ।
5. सैद्धान्तिक आदर्श –
सृजनात्मक बालक सैद्धान्तिक रूप से आदर्शवादी होते हैं। वे अपनी परिस्थितियों को भली प्रकार समझते हैं तथा सूझ के द्वारा किसी भी परिस्थिति में निर्णय ले सकते हैं । वे सैद्धान्तिक रूप से आदर्शवादी स्वभाव के होते हैं ||
6. सौन्दर्यात्मक आदर्श –
सृजनात्मक योग्यता वाले व्यक्तियों में सौन्दर्यात्मक आदर्श पाया जाता है। उनमें प्राकृतिक रूप से सौन्दर्यानुभूति की भावना होती है ।
7. वास्तविक ज्ञान तक पहुँचने की योग्यता—
सृजनात्मक बालकों में अपने कार्य के प्रति असीम लगन पायी जाती है, वे त्रुटियाँ करते हुए एवं उनसे कुछ न कुछ सीखते हुए वास्तविक ज्ञान तक पहुँच जाते हैं ।
8. कार्यों में अपेक्षाकृत अधिक निष्पादन—
सृजनात्मक योग्यता वाले बालकों के कार्यों में अपेक्षाकृत अधिक निष्पादन होता है ।