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Bihar D.El.Ed 1st Year Syllabus

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बिहार डी एल एड फर्स्ट इयर  सिलेबस

F-1 समाज , शिक्षा और पाठचर्या की समझ का सिलेबस

SMAJ ,SHIKSHA AUR PATHCHRYA KI SMJH SYLLABUS

बिहार डी एल एड फर्स्ट इयर पेपर F -1 का सिलेबस

इकाई 1: बच्चे, बचपन और समाज
इकाई 2 : विद्यालय और समाजीकरण
इकाई 3 : शिक्षा और ज्ञान : विविध परिप्रेक्ष्य की समझ
इकाई 4: प्रमुख चिन्तकों के मौलिक लेखन की शिक्षाशास्त्रीय समझ
इकाई 5 : पाठ्यचर्या की समझ : बच्चों तथा समाज के सन्दर्भ में

इकाई 1: बच्चे, बचपन और समाज

बच्चे तथा बचपन : सामाजिक, सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक समझ।

समाजीकरण की समझ : अवधारणा, कारक तथा विविध सन्दर्भ।

बच्चों का समाजीकरण : माता-पिता, परिवार, पड़ोस, जेण्डर एवं समुदाय की भूमिका।

बाल अधिकारों का सन्दर्भ : उपेक्षित वर्गों से आने वाले बच्चों पर विशेष चर्चा के साथ।

इकाई 2 : विद्यालय और समाजीकरण

शिक्षा, विद्यालय और समाज : अन्तर्सम्बन्धों की समझ।

विद्यालय में समाजीकरण की प्रक्रिया : विभिन्न कारकों की भूमिका व प्रभावों की समझ।

शिक्षा, शिक्षण तथा विद्यालय : सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक व राजनीतिक आधार|

इकाई 3 : शिक्षा और ज्ञान : विविध परिप्रेक्ष्य की समझ

शिक्षा : सामान्य अवधारणा, उद्देश्य एवं विद्यालयी शिक्षा की प्रकृति।

शिक्षा को समझने के विभिन्न आधार/दृष्टिकोण : दर्शनशास्त्रीय, मनोवैज्ञानिक, समाज-शासत्र

शिक्ष का साहित्य, शिक्षा का इतिहास आदि।

ज्ञान की अवधारणा : दार्शनिक परिप्रेक्ष्य।

ज्ञान के विविध स्वरूप एवं अर्जन के तरीके।

इकाई 4: प्रमुख चिन्तकों के मौलिक लेखन की शिक्षाशास्त्रीय समझ

महात्मा गाँधी-हिन्द स्वराज : सामाजिक दर्शन और शिक्षा के सम्बन्ध को रेखांकित करते हुए

गिजुभाई बधेका—दिवास्वप्न : शिक्षा में प्रयोग के विचार को रेखांकित करते हुए।

रवीन्द्रनाथ टैगोर–शिक्षा : सीखने में स्वतन्त्रता एवं स्वायत्तता की भूमिका को रेखांकित करते हुए।

मारिया माण्टेसरी—ग्रहणशील मन पुस्तक से ‘विकास के क्रम’ शीर्षक अध्याय : बच्चों सीखने के सम्बन्ध में विशेष पद्धति को रेखांकित करते हुए।

ज्योतिबा फुले-हण्टर आयोग (1882) को दिया गया बयान : शैक्षिक, सामाजिक सांस्कृतिक असमानता को रेखांकित करते हुए।

डॉ. जाकिर हुसैन–शैक्षिक लेख : बालकेन्द्रित शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए।

जे. कृष्णमूर्ति ‘शिक्षा क्या है’ : सीखने-सिखाने में संवाद की भूमिका को रेखांकित करते हुए

जॉन डीवी–शिक्षा और लोकतन्त्र से ‘जीवन की आवश्यकता के रूप में शिक्षा’ शीर्षक लेर शिक्षा और समाज की अन्तक्रिया को रेखांकित करते हुए।

इकाई 5 : पाठ्यचर्या की समझ : बच्चों तथा समाज के सन्दर्भ में

पाठ्यचर्या तथा पाठ्यक्रम : अवधारणा तथा विविध आधार।

बच्चों की पाठ्य-पुस्तकें : शिक्षा, ज्ञान एवं समाजीकरण के माध्यम के तौर पर।

स्थानीय पाठ्यचर्या की समझ। ।

F-5 भाषा की समझ तथा आरम्भिक भाषा विकास सिलेबस  

BHASHA KI SMJH TTHA AARMBHIK BHASHA VIKAS SYLLABUS

 

इकाई 1 : भाषा की प्रकृति

इकाई 2 : भाषायी विविधता वहुभाषिकता

इकाई 3 : बच्चों का आरम्भिक भाषा विकास और विद्यालय में भाषा

डी.एल.एड. फर्स्ट इयर पेपर F-5 भाषा की समझ तथा आरम्भिक भाषा विकास का सिलेबस विस्तार से

इकाई 1 : भाषा की प्रकृति

* भाषा का अर्थ

* भाषा : प्रतीकों की वाचिक व्यवस्था के रूप में,
* समझ के माध्यम के रूप में,
* सम्प्रेषण के माध्यम के रूप में।

* मानव भाषा और पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों की भाषा में अन्तर।

* भाषा की नियमबद्ध व्यवस्था : ध्वनि संरचना, शब्द संरचना, वाक्य संरचना, प्रोक्ति (संवाद) संरचना।

* भाषा की विशेषताएँ।

 

इकाई 2 : भाषायी विविधता वहुभाषिकता

* भारत का बहुभाषिक परिदृश्य : भारत में भाषाएँ एवं भाषा-परिवार।

* बिहार का बहुभाषिक परिदृश्य।

* भाषा और बोली।

* बहुभाषिकता के आयाम : बौद्धिक आयाम, शिक्षणशस्त्रीय आयाम।

* भाषाओं के सन्दर्भ में संवैधानिक प्रावधान : अनुच्छेद 343-351, आठवीं अनुसूची।

* बहुभाषिक कक्ष और केस स्टडी।

 

इकाई 3 : बच्चों का आरम्भिक भाषा विकास और विद्यालय में भाषा

* बच्चों में भाषा सीखने की क्षमता तथा बच्चों के भाषाई ज्ञान को समझना
* विद्यालय आने से पहले बच्चों की भाषायी पूँजी।

* बच्चे भाषा कैसे सीखते हैं? (स्किनर, चॉमस्की, वायगोत्सकी और पियाजे के विशेष सन्दर्भ में)।

* भाषा अर्जित करने और भाषा सीखने में अन्तर।

* विद्यालय में भाषा-विषय के रूप में माध्यम भाषा के रूप में।

* भाषा सीखने-सिखाने के उद्देश्यों की समझ : कल्पनाशीलता, सृजनशीलता, संवेदनशीलता।

* भाषा के आधारभूत कौशलों-सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखने का विकास। -शुरुआती पढ़ना-लिखना।

* लिपि और भाषा।

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