पर्यावरण के प्रति सजगता में शिक्षा की भूमिका
Role of education in environmental awareness
Topic | Role of education in environmental awareness |
प्रश्न | पर्यावरण के प्रति सजगता में शिक्षा की भूमिका |
कोर्स | बी.एड. |
विषय | पर्यावरण शिक्षा |
शिक्षा जीवन के विकास का रास्ता दिखाती है। शिक्षा के द्वारा मनुष्य अपने समाज, राष्ट्र और परिवेश के प्रति बोध प्राप्त करता है। मानव जीवन के विकास में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है। शिक्षा के द्वारा पर्यावरण जागरूकता का प्रसार सरलता और प्रभावी तरीके से किया जा सकता है।
पर्यावरण चेतना का प्रारम्भिक स्वरूप उसके उपयोग तक सीमित था किन्तु अब यह बात नहीं है तथा विश्व स्तर पर यह अध्ययन का विषय बना हुआ है। पर्यावरण के प्रति जागरूकता बनाने वाले कार्यक्रमों में समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों को अपने पर्यावरण के प्रति सकारात्मक एवं नकारात्मक पक्षों के प्रति संवेदनशील बनाना मुख्य उद्देश्य है।पर्यावरण एवं पर्यावरणीय समस्याओं के प्रति जागृति एवं संवेदनशीलता के विकास से ही पर्यावरण चेतना का विकास होता है। निश्चय ही यह पर्यावरण की समुचित शिक्षा द्वारा ही सम्भव है। शिक्षा द्वारा पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम को सरकार ने विभिन्न स्तर पर शुरू किया है। भारत में आजादी के बाद से प्रौढ़ शिक्षा या सामाजिक शिक्षा जैसे कार्यक्रमों को आरम्भ किया गया। पर्यावरण शिक्षा के कार्यक्रम को निम्न स्तर पर संचालित किया गया है |
(1) पर्यावरण जागरूकता सतत् शिक्षा द्वारा
(2) पर्यावरण जागरूकता स्कूल शिक्षा द्वारा
(1) पर्यावरण जागरूकता सतत् शिक्षा द्वारा
भारत की अधिकांश जनसंख्या गाँव में रहती है, उसे शिक्षा की सुविधाएँ नहीं हैं। सरकार की प्रतिबद्धता और प्रयासों के बावजूद बहुत-से लोग शिक्षा से आज भी वंचित हैं; यद्यपि संविधान में सभी को शिक्षा का अधिकार दिया गया है। इसके लिए अनेक तरह के कार्यक्रम यथा प्रौढ़ शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा, दूरवर्ती शिक्षा, औपचारिक शिक्षा को आरम्भ किया गया है। इन प्रारूपों के अपने-अपने कार्यक्रम तथा लक्ष्य ग्रुप हैं । प्रौढ़ शिक्षा का उद्देश्य सभी निरक्षर स्त्री, पुरुष तथा बच्चों को साक्षर बनाना है। वैसे शिक्षा जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है, शिक्षा कभी पूर्ण नहीं होती। उसकी प्रवृत्ति गतिशीलता की है। प्रत्येक क्षेत्र में ज्ञान, आविष्कार, विकास होते रहते हैं। इसलिए देश की प्रगति और समृद्धि के लिए आवश्यक है कि देश के नागरिकों को अपने क्षेत्र का ज्ञान हो। इसके लिए सतत् शिक्षा बहुत उपयोगी साबित हुई है। सतत् शिक्षा के कार्यक्रमों द्वारा व्यक्तियों को इस योग्य बनाने का प्रयास किया जाता है कि वे अपने क्षेत्र, व्यवसाय, उद्योग में आधुनिकतम ज्ञान प्राप्त करते रहें और समुचित कौशलों, योग्यताओं तथा अभिवृत्तियों का निरन्तर विकास होता रहे।
(2) पर्यावरण जागरूकता स्कूल शिक्षा द्वारा
स्कूल शिक्षा द्वारा बच्चों को पर्यावरण का बोध प्रारम्भिक स्तर से कराया जाता है। स्कूली बच्चों को साक्षर और योग्य बनाने के लिए दी जाने वाली शिक्षा के साथ ही साथ पर्यावरण की शिक्षा भी दी जाती है जिससे वे अपने विषय के बोध के साथ-साथ पर्यावरण के उससे सम्बन्ध को जान सकें तथा अपने विषय-क्षेत्र में पर्यावरणीय मूल्यों से परिचित है ।
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